Students in Bihar are moving away from education: जिस भूमि पर कभी शिक्षा का उदय हुआ। आज उसी भूमि में शिक्षा से बच्चे दूर होते जा रहे है, दूनिया की सबसे बड़ी दो विश्वविद्यालय नलंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशीला विश्वविद्यालय इसी बिहार में स्थापित है जहाँ पढ़ने के लिये विदेशो से छात्र आते थे और ज्ञान का भंडार लेकर जाते थे।
लेकिन आज उसी भूमि में शिक्षा का अस्तर निचले पायेदान पर आ पंहुचा है। हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा जारी किया गया, ऐनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 16 वर्ष की 7.8 % लड़किया स्कूल नहीं जाति है, इसी आयु वर्ग के 9.5 % लड़के स्कूल नहीं जाते है, वे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते है।
लेकिन शहरों में स्थिति उलट है,यहाँ पढ़ाई छोड़ने में लड़को की संख्या लड़कियों से कम है।
7 से 10 वर्ष की आयु में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या 96 % है जबकि लड़कियों की संख्या 96.5 % है, लड़को की अपेक्षा लड़कियां सरकारी स्कूल में ज़्यदा पढ़ती है।
केंद्र सरकार ने बिहार के 38 जिलों के 22,788 घरों में सर्वे किया इसलिए दौरान 3 से 16 वर्ष के 51,677 और 5 से 6 वर्ष के 39,335 बच्चों से बात की, इसके साथ ही 11,14 स्कूलों का भी सर्वे किया गया जिसके बाद ऐनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट त्यार हुई।
2022 की अपेक्षा 2024 में 5 वी तक के बच्चों का नामांकन घटा है 2022 में 78.3 % लड़के तथा 89.1 % लडकियो ने नामांकन कराया था जबकि यह आकड़ा 2024 में घट कर, 76.1 % लड़को का तथा 83.4 % लडकियो ने ही नामांकन कराया।
6 वी से 8 वी कक्षा में 2022 में 72.9 % लड़को ने एडमिशन लिया था जबकि 2024 में 67.2 % लड़को ने ही एडमिशन लिया।
वही पर 2022 में 77.7 % लड़कियों ने एडमिशन लिया जबकि 2024 में 73.9 % लड़कियों ने ही एडमिशन लिया।
Read More:- Seema Haider Ka Social Media Pe Dhamal: सीमा हैदर का सफर पाकिस्तान से भारत तक
अभिभावको का पसंद बनता प्राइवेट स्कूल

3 वर्ष की आयु के 0.2 % बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूल में तो वही 5.1 % बच्चे प्राइवेट में पढ़ते है।
सरकारी स्कूल की दुर्दशा?

बिहार के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा ही नहीं है, आधे से ज़्यदा सरकारी स्कूल में टॉयलेट की सुविधा भी नहीं, शिक्षक टाइम पर स्कूल नहीं आते है, आधे से ज़्यदा शिक्षाको की बहाली शिक्षा मित्र से हुई है जिसे की शिक्षकों में शिक्षा की गुणवत्ता की कमी है, बिहार के सरकारी स्कूलों में प्रयोग शाला ही नहीं है और नहीं बच्चों के खेलने के लिये मैदान। और नाही खेलने के लिये कोई स्पोर्ट्स का समान है। ऐसे में बच्चों का ना तो मानसिक विकाश हो पता है और ना ही शारीरिक।
सरकारी स्कूल के छात्रों की पढ़ाई की इस्थिति?
- कक्षा 1 में 31.9 % छात्रों को 9 तक गिनती भी नहीं आती।
- कक्षा 5 वी में 7.6 % किताबें नहीं पढ़ पाते है।
- और नहीं स्कूल ड्रेस पहन कर स्कूल आते है।
76 % बच्चे फ़ोन पर सोशल मीडिया चला रहे है जबकि 57 % बच्चे ही पढ़ाई कर रहे है।

मेरा नाम अनमोल चौधरी है। मैं बिहार से हूँ और नयी जॉब्स ताज़ा खबरे, ट्रेंडिंग न्यूज़ आदि के बारे में लिखना सबसे ज्यादा पसंद है। मैं करीब 5 साल से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ। जिसकी वजह से मुझे दूसरों से ज्यादा जानकारी है, जिसे मैं ब्लॉग के जरिए लोगों तक नयी नयी जॉब्स ताज़ा खबरे, ट्रेंडिंग न्यूज़ के तथा दुनिया भर की सभी खबरे a2znewshub.site पर ब्लॉग्गिंग के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाता हूँ।